– भाजपा नेता विनोद प्रजापति ने संविधान के समानता के अधिकार को लेकर सवाल उठाया कि प्रजापति जाति को एक जिले में SC तो पडोसी जिले में OBC में कैसे शामिल किया गया
रोहित कोरी, सागर। मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकारों को प्रजापति (कुम्हार) जाति के राज्य में अलग-अलग वर्गीकरण को चुनौती देने वाली याचिका पर जवाब मांगा है। याचिकाकर्ता का कहना है कि इस विसंगति के कारण कुम्हार समुदाय के कई लोग शिक्षा और रोजगार के अवसरों से वंचित रह गए हैं। अदालत से पूरे मध्य प्रदेश में कुम्हार जाति को अनुसूचित जाति के रूप में समान मान्यता देने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है।
प्रदेश के इन जिलों में अलग-अलग कैटेगिरी
सागर के याचिकाकर्ता भाजपा नेता विनोद प्रजापति ने कहा कि छतरपुर, दतिया, पन्ना, रीवा, सतना, शहडोल, सीधी और टीकमगढ़ जिलों में कुम्हार जाति को अनुसूचित जाति (एससी) के रूप में सूचीबद्ध किया गया है, जबकि अन्य जिलों में यह अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) श्रेणी के अंतर्गत आती है। राज्य सरकार द्वारा कुम्हार समाज को लेकर की ग़ई इस विसंगति के कारण कुम्हार समुदाय के कई लोग शिक्षा और रोजगार के अवसरों से वंचित रह गए हैं। याचिकाकर्ता ने अदालत से पूरे मध्य प्रदेश में कुम्हार जाति को अनुसूचित जाति के रूप में समान मान्यता देने का निर्देश देने का अनुरोध किया है। मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय की एक खंडपीठ ने कुम्हार (प्रजापति) जाति के राज्य में अलग-अलग वर्गीकरण को चुनौती देने वाली याचिका पर केंद्र और राज्य सरकारों को नोटिस जारी किया है।
सागर संभाग में ही अलग-अलग दर्जा
याचिका में कहा गया है कि मध्य प्रदेश के कुछ जिलों में कुम्हार जाति को अनुसूचित जाति (एससी) के रूप में सूचीबद्ध किया गया है, जबकि अन्य जिलों में इसे अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के रूप में सूचीबद्ध किया गया है। सागर संभाग के जिलों में भी यह विसंगति है। अदालत ने केंद्र और राज्य सरकारों को नोटिस जारी कर उनसे याचिका पर जवाब देने को कहा है। सागर के वरिष्ठ अधिवक्ता पवन नन्होरिया ने इस मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए बताया कि अब इस मामले में सरकार की जवाब का इंतजार है। इसके बाद ही कुछ कहा जा सकता है