संजीव कुमार जैन , सागर।
एमपी के सबसे बड़े टाइगर रिजर्व वीरांगना दुर्गावती के प्राकृतिक जल स्रोत सूखने की कगार पर हैं। वन्य जीवों को पीने के लिए जंगल में गड्ढा खोदकर हौज बनाए गए हैं। जिनमें टैंकर से पानी भरा जा रहा है। बाघ, तेंदुआ, नीलगाय, भालू, चिंकारा, काला हिरण जैसे वन्य जीव इसी पानी से गला तर कर रहे हैं। 40-50 हौज जमीन की मिट्टी खोदकर सीमेंट कांक्रीट से तैयार कराए गए हैं।
आग पर नजर रखने फायर वॉचर लगाए
सूखे पत्ते- झाड़ियां के कारण जंगल में आग लग रही है। टाइगर रिजर्व में इस बार आग पर काबू पाने और रोकथाम को लेकर बड़े स्तर पर प्लानिंग की गई है। आग बुझाने और आग लगने से रोकने के लिए 120 फायर वॉचर लगाए गए। इसके अलावा अग्निशामक यंत्र, पानी के टैंकर, फर्स्ट एड बाक्स के साथ बीट स्तर पर अलग-अलग टीमें काम कर रही हैं।
21 बाघ और 25 तेंदुए
वीरांगना दुर्गावती टाइगर रिजर्व के जंगल में सूअर, नीलगाय, चिंकारा, चीतल, सांभर जैसे बड़े शाकाहारी जीव मौजूद हैं, जो बाघों का मुख्य आहार हैं। यहां 21 बाघ और 25 तेंदुआ हैं। यह विंध्य पर्वतमाला के नजदीक पठारी हिस्सा है। यहां मिश्रित और छिछले वन हैं। वन में 49 से ज्यादा प्रजातियों की झाड़ियां, 18 से ज्यादा प्रकार की बेल-लताएं, 92 से ज्यादा प्रजातियों के वृक्ष और 35 से ज्यादा प्रकार की घास पाई जाती है। महुआ, करंज, बेल, खैर, तेंदू के वृक्ष ज्यादा हैं। यहां तेंदुआ, भेड़िया, जंगली कुत्ता जैसे वन्य प्राणियों के अलावा 250 से ज्यादा प्रजातियों के पक्षी हैं।